माँ ममता की मूरत है, स्नेह की बहती धारा है, maa mamta ki moorat hai sneh ki behti dhara hai, pyase ko ndiya hai he doobe ko kinara hai / Maa Par google ki sabse achchhi kavita in hindi / NANDKISHOR PATEL NANDAN / Poem For Mother,
प्यासे को नदिया है,डूबे को किनारा है
माँ ममता की मूरत है, स्नेह की बहती धारा है||
पकड़ के उँगली माँ की हमने,
पहला कदम बढ़ाया है|
जब भी भूख लगी बचपन में,
उसने ही अपना स्तनपान कराया है|
जब-जब हम गिरे धरा पर,
उसने हमें उठाया है|
निश्चय बचपन में हमने,
माँ को बहुत सताया है|
हमने उसे रुलाया लेेकिन,
उसने हमें हँसाया है|
मैंने बैठ उसी की गोदी में,
जीवन का अनुभव पाया है|
इस दुनिया की तपती माया में,
माँ एक शीतल छाया है|
प्रथ्वी तो क्या,सम्पूर्ण लोको में,
माँ का किरदार ही सबसे न्यारा है|
प्यासे को नदिया है,डूबे को किनारा है
माँ ममता की मूरत है, स्नेह की बहती धारा है||1||
उसके चरण कमल की धूल लगा,
हो जाता पावन माथा है|
सागर को स्याही बना लें,
वृक्षों की कलमें लगा लें,
अम्बर भी कम पड़ जाये,
लिखने को, इतनी उसकी गाथा है|
ये नन्दन तो एक बालक है,
दाता भी गाता जिसकी गाथा है|
ईश्वर भी बारम्बार जन्म धरा पर लेता,
क्योकि,
उसको भी अांचल माँ का प्यारा है|
प्यासे को नदिया है,डूबे को किनारा है
माँ ममता की मूरत है, स्नेह की बहती धारा है||2||
मैंने एक बार कहा था माँ से,
इस दुनिया से मुझे डर लगता है,
अब इन दुर्गम राहों पे भी,
ये जो आसान सफर लगता है|
यह मुझको उस माँ की दुआओं,
का ही असर लगता है|
मेरे इस जीवन का माँ,
अब तूँही एक सहारा है|
प्यासे को नदिया है,डूबे को किनारा है
माँ ममता की मूरत है, स्नेह की बहती धारा है||3||
By - Ã.K. Ñandkishor
(Ñandan®)
( B.H.M.S. 1st Year )
S.P.H.Medical college,
chhatarpur (m.p.)
माँ ममता की मूरत है, स्नेह की बहती धारा है||
पकड़ के उँगली माँ की हमने,
पहला कदम बढ़ाया है|
जब भी भूख लगी बचपन में,
उसने ही अपना स्तनपान कराया है|
जब-जब हम गिरे धरा पर,
उसने हमें उठाया है|
निश्चय बचपन में हमने,
माँ को बहुत सताया है|
हमने उसे रुलाया लेेकिन,
उसने हमें हँसाया है|
मैंने बैठ उसी की गोदी में,
जीवन का अनुभव पाया है|
इस दुनिया की तपती माया में,
माँ एक शीतल छाया है|
प्रथ्वी तो क्या,सम्पूर्ण लोको में,
माँ का किरदार ही सबसे न्यारा है|
प्यासे को नदिया है,डूबे को किनारा है
माँ ममता की मूरत है, स्नेह की बहती धारा है||1||
उसके चरण कमल की धूल लगा,
हो जाता पावन माथा है|
सागर को स्याही बना लें,
वृक्षों की कलमें लगा लें,
अम्बर भी कम पड़ जाये,
लिखने को, इतनी उसकी गाथा है|
ये नन्दन तो एक बालक है,
दाता भी गाता जिसकी गाथा है|
ईश्वर भी बारम्बार जन्म धरा पर लेता,
क्योकि,
उसको भी अांचल माँ का प्यारा है|
प्यासे को नदिया है,डूबे को किनारा है
माँ ममता की मूरत है, स्नेह की बहती धारा है||2||
मैंने एक बार कहा था माँ से,
इस दुनिया से मुझे डर लगता है,
अब इन दुर्गम राहों पे भी,
ये जो आसान सफर लगता है|
यह मुझको उस माँ की दुआओं,
का ही असर लगता है|
मेरे इस जीवन का माँ,
अब तूँही एक सहारा है|
प्यासे को नदिया है,डूबे को किनारा है
माँ ममता की मूरत है, स्नेह की बहती धारा है||3||
By - Ã.K. Ñandkishor
(Ñandan®)
( B.H.M.S. 1st Year )
S.P.H.Medical college,
chhatarpur (m.p.)