Holi poem/आधुनिक और प्राचीन होली/ holi pic with quite/holi poem in hindi, on google | in india | hindi poem
!! आधुनिक होली !!
देह रंगेगी,
चेहरे पर रंग डाला जायेगा,
देख यहां वेइज्जत,
नर-नारी के बिकते रंग को,
न अब हम पर प्रभु की छाया होगी,
न राधेश्याम की टोली होगी,
अब चलो यहां से राधे,
कृष्ण को बोलीं होगीं !
कर-कर के यहां दिखावा,
भूल सब मर्यादा को...
अब लज्जा तोड़ यहां होली होगी,
सभ्यताहीन यहां की बोली होगी,
कोई पाने पुण्य-प्रतापों को,
होली खेलन मथुरा-वृन्दावन जायेगा ,
कोई फ़र्क नहीं होगा,
कल वृन्दावन से वापस आ,
फिर वह भी असभ्य हो जायेगा !
!! प्राचीन / लेखकानुसार होली !!
करते रहो यहां दिखावा,
वहाँ ये प्यार नही कहलायेगा,
पावन प्यार अगर महकेगा,
तो मन चंदन जैसे हो जायेगा !
आज अगर नारी राधा हो जाए....
नर मन से मोहन हो जायेगा !
तन को चाहे जिस रंग से जितना रंग लो
तन रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता....!
जिस दिन पवित्रता से मन को रंग लोगे....
मन वृन्दावन हो जायेगा...!!
By - Ã.K. Ñandkishor (Ñandan®)
📞 7000176647
( B.H.M.S. 1st Year )
S.P.H.Medical college,
chhatarpur (m.p.)
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