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यादें बचपन की...| (चल फिर बच्चे बन जाते हैं) | yadain | yade bachapan ki hindi poem... By - Nandkishor Patel (नन्दन)) on google | in india | hindi poem

चल फिर बच्चे बन जाते हैं, चल फिर बच्चे बन जाते हैं....
भूल यहां कीं चिंताएँ सारी, चल फिर खेलन जाते हैं, 
बिन-लये, बिन-ताल पुराने गीत वही हम गाते हैं,
आ फिरसे हम गाते-गाते तुतलाते हैं, 
चल फिर बच्चे बन जाते हैं, चल फिर बच्चे बन जाते हैं ....|| 1 ||

चाह जवानी के लालच में, बचपन भूल कहीं हम जाते हैं,
और कमाने की चाहत में, इसको भी छोड़ यहीं हम जाते हैं,
उमर होती है 55 की, और एक कहानी आधी रह जाती है,
25 में भी न कुछ कर पाये, यही जवानी कह जाती है,
यादें आती हैं बचपन की, फिर नयनो से अश्क़ निकल आते हैं
चल फिर बच्चे बन जाते हैं, चल फिर बच्चे बन जाते हैं ....|| 2 ||

सरकन की वो पाटी, याद बहुत अब आती है,
आ फिर उस पाटी पर आज सरक कर आते हैं,
ऐसे लगता माँनो 
वो बगिया वो पेड़ अबभी हम बुलाते हैं,
छोड़ आये थे हम जो वो कंचे मैदानों में,
आ चलकर अब उन कंचों में चोट लगते हैं,
चल फिर बच्चे बन जाते हैं, चल फिर बच्चे बन जाते हैं ....|| 3 ||

जो कल किलकारी से गूँजा करतीं थीं,
अब वीरान पड़ी हैं वो गलियां,
आ चलकर खेलें गिल्ली-डंडा, फिर इन गलियों में शोर मचाते हैं,
आ मेरे घर पर सब मिलकर कुछ मीठा आज बनाते हैं,
चल तेरे बड्डे का गलियों में जशन मनाते हैं,
फिर बगिया के आम खाएंगे चोरी से, तालाब नहां कर आते हैं,
अपने बचपन के वो दिन वो पल याद बहुत अब आते हैं,
उन यादों को ताजा करने...
चल फिर बच्चे बन जाते हैं, चल फिर बच्चे बन जाते हैं ....|| 4 ||

जितने हम हुए बड़े अब , उतनी चिन्ता बढ़ती हैं,
आता है ज्ञान हमें तो, जात-पात सर चढ़ती है,
इक माँ बचपन में अपने बच्चों को फर्क नहीं समझती हैं,
हिन्दू-मुस्लिम तो दुनिया हमें सिखाती है,
चल आ हम भूल द्वैष को एक थाली में खाते हैं
चल फिर बच्चे बन जाते हैं,चल फिर बच्चे बन जाते हैं ....|| 5 ||

हर बाप कहे बच्चों से, बेटा न तुम चिंता करना,
जो चाहो वो तुम लेलो खुद के मन में,
बचपन का कोई अरमान न बाकि रखना,
जो भी चाहो पूरा करलो बचपन का हर सपना,
बेटा हम देख तुम्हें खुश अपना बचपन पा जाते हैं,
माँ कहती बापू से, चलो गीत वही हम दोहराते हैं,
बापू कहते फिर मईया से.....
चल फिर बच्चे बन जाते हैं, चल फिर बच्चे बन जाते हैं ....|| 6 ||


    By - Ã.K. Ñandkishor (Ñandan®)
📞  7000176647
        ( B.H.M.S. 1st Year )
         S.P.H.Medical college,
Add:- village & post soura, dist. Chhatarpur (m.p.)

Comments

Unknown said…
bhaiya Pura BACHPAN yad aa gya. THANK YOU FOR MEMORIES...
Unknown said…
Bahut shandar Bhai❤️❤️❤️❤️🤗🤗🤗🤗🤗
Unknown said…
Bahut shandar Bhai❤️❤️❤️❤️❤️🤗🤗🤗🤗🤗
Unknown said…
Sandaar👌👌👌👌
Anonymous said…
Osm Poetry 👌👌👌👌👐👐💛💛💛💛

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