माँ तो माँ होती है/ma to ma hoti he/mother's day special poem 2018 by - नंदकिशोर पटेल "नन्दन" on google | in india | hindi poem
माँ तो माँ होती है...
सच में....माँ तो माँ होती है....
बिठा बिठा कर गोदी में,
हर बार अलग कुछ समझती है,
नक़ी कर नेकी होगी यही हमें सिखाती है,
जब हम उसकी न सुनते है,
अपनी इच्छा पूरी करने,
माँ से लड़ते और झगड़ते हैं,
वो कह-कह जब हमसे थक जाती है
तब जाकर पापा के पास शिकायत जाती है,
पापा हमें मारने जब-जब छड़ी उठाते हैं,
तब फिर वो ही हमें बचाती है
वो बच्चों के लिए सबसे लड़ जाती है...
माँ तो माँ होती है...
सच में....माँ तो माँ होती है.... ||1||
बेशक़ उसने बचपन में हमें मारा होगा,
डाँटा होगा, ललकारा भी होगा,
पर हम शायद समझ नहीं पाते हैं,
उसमें भविष्य हमारा और,
माँ का प्यार छुपा होता है,
इक माँ अपने बच्चों का भविष्य बनाने
वो अपने दिल पर पत्थर रखकर,
ये सब कर पाती है
खुद से भी कई ज्यादा,
बच्चों की चिंता उसे सताती है...
माँ तो माँ होती है...
सच में....माँ तो माँ होती है....||2||
बच्चों को पीड़ा में कैसे देख भला वो सकती है
गन्दे होने पर भी वो आँचल में,
छुपा लिया करती है,
माँ का ये आँचल,
गर्मी में शीतलता की छाँव दिया करता है,
वारिश में रेनकोट और सर्दी में,
स्वेटर की तरहा महसूस हुआ करता है
सच में वो पल जन्नत से कम न होता है,
जब अपनी गोदी में सिर रख,
वो सुला दिया करती है...
माँ तो माँ होती है...
सच में....माँ तो माँ होती है....||3||
वो दौरान प्रशव के,
न सह पाने वाली पीड़ा भी सह जाती है,
तब जाकर हमें दुनिया में लाती है,
फिर भी न मोल मंगाती है,
न कभी कुछ कहती, न अह्म दिखती है,
ये नन्दन क्या गाथा लिख दे..??
इस माँ की,जिसकी गाथा दुनिया गाती है,
मुझको माँ-माँ करते,
बस समझ इतना आया है
जो माँ लिख दूँ तो सारी दुनिया,
इक समिट शब्द में जाती है
हम हँसते हैं तो हस जाती है,
अगर देखे जो थोड़ी पीड़ा में,
तो खुद सिसक-सिसक कर रो देती है...
माँ तो माँ होती है...
सच में....माँ तो माँ होती है....||4||
By - नन्दकिशोर पटेल (नंदन)
study at 1st year (B.H.M.S.)
S.P.H. MEDICAL COLLAGE & HOSPITAL, Chhatarpur (M.P.)
mob. no. - 7000176647
add.- village & post soura , teh. chhataepur, dist. chhatarpur [m.p.]
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